Tuesday, 18 November 2014

गोवंश रक्षा, संवर्धन, पालन और देश के उत्थान में योगदान- एक सोच


 देश में गोवंश की दुर्दशा की और ध्यान दिलाता हूँ.कुछ दशकों पहले गोवंश के बिना खेती, परिवहन, सिचाई, पेराई, भोजन, स्वास्थ्य, इतना की, गृहप्रवेश तक भी नहीं सोचा जाता था. सबसे बड़ा पुण्य गोदान, सबसे बड़ी सेवा-गोसेवा, कही जाती थी. यह प्रभु की रचना कामधेनु, कपिला, नंदीनी, और नंदी, वर्षभराज जैसे नामो से पूजी जाती थी.
महामना मदन मोहनजी मालवीय देश की स्वतन्त्रता का अर्थ गोरक्षा से लगते थे. यानी देश के आजाद होने पर कलम  की पहली नौक से देश में गोहत्या रोक दी जाएगी ऐसा संकल्प पूजनीय मालवीय जी, लोकमान्य तीलक जी और महात्मा गाँधी जी जैसी महान विभुतिओं का था. मथुरा-ब्रिन्दावन मार्ग  पर स्थित हासाराम  गोशाला शायद इसही का प्रमाण है जो परम गोभक्त हासाराम जी जिन्होंने कांग्रेस के अधिवेशन में जब मुह काला कर प्रवेश किया तो महामना ने कहा की जब तक गोहत्या का कलंक है हम सभी का मुख काला रहेगा  और कहा की देश की आज़ादी मिटे ही देश से गोहत्या का कलंक मिटा दिया जायेगाऔर मुह धुलवाया था. रास्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कितनी ही बार गोरक्षा को देश की स्वतन्त्रता बड़ा प्रश्न कहा था.
देश का सर्व हारा गोपालक, कृषक, आज आत्म हत्या कर रहा है क्योंकी उसको महानाशकारी रासायनिक खाद लगा दिया गया है, खेतों में ट्रेक्टर, नलकूप आदि के उपयोग ने बैल शक्ति को नीरउपयोगी बना दिया है. खेती की लागत में उर्वरक, जल और डीजल मुख्य घटक बन चुके हैं इसके अलावा देश की २५% भूमि चरागाहों के लिए रखी जाने के प्रावधान आज भूले जाकर शहरीकरण की दौड़ में कब्जा किये जा  चुके हैं. उपरोक्त ३० करोड़ गोवंश ४ टन प्रति वर्ष की दर से १२० करोड़ टन गोबर और ८० करोड़ किलो लीटर गोमूत्र प्रदान करता है. यह मात्रा लो की देश के विकास में सहायक होनी चाहिए आज पर्यावरण की समस्या बन गयी है ग्राम- शहर की नालिओं से बह कर क्षेत्र के जलाशयों, और नदिओं के जल स्तर को ऊँचा करती जा रही है. यह दीवानगी भरा मूक प्राणी संहार आज पर्यावरण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, रोजगारविकास , स्त्रीशक्ति, ग्रामीण विकास को तहस नहस कर रहा है.   अगर इस गोवंशशक्ति को उपयोग में लाया जाये तो १२० करोड़ टन गोबर ५०,००० करोड़ का प्राकृतिक उर्वरक, ३५,००० करोड़ की १०,००० करोड़ यूनिट बिजली और एक बैल ८ अश्वशक्ति ८० करोड़ अश्व शक्ति के सामान  बैलशक्ति देश की ग्रामीण विद्युत्, इंधन और पेय जल समाश्या का निदान है. बैल शक्ति का कृषि, सिचाई, परिवहन, अन्य कल कारखानों को चलने में उपयोग ग्रामीण बेरोजगारी समाप्त कर ग्राम विकास की धुरी बन भूतपुरी राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी की कल्पना 'पूरा' ( ग्राम में शहर की सुविधा ) प्रदान कर सकता है. कृषक और गोपालक की लागत में कमी लाकर, कृषि को लाभदायक बनाते हुए हमारा गोवंश देश की अर्थ व्यवस्था में  अशीम योगदाता बन सकता है. पचासिओं वस्तुओं के  निर्माण का साधन, अगर राज्य और केंद्र सरकारें, इस और तनिक ध्यान दे तो ग्रामीण उद्योग, देश की अर्थ व्यवस्था में खरबों रुपैये का योगदाता बन सकता है. 
बीसिओं वस्तुएं, जैसे, साबुन, शेम्पू, फिनियाल, धूप, अगबती, रंग रोगन, कीमती टायल, प्लाई बोर्ड, मूर्ति, कागज, उर्वरक, किटनियंत्रक, १७० रोगों की रोकथाम दवाईयां, मछर नियंत्रक तेल, कोइल और तो और गोकोला, गोज्योती जैसी विभिन्न दैनिक जरुरत में कम आने वाली वस्तुएं जो की विभिन्न विदेशी महा कंपनियो द्वारा विज्ञापन के जोर से जन मानस में जहर की तरह घुटी जा रही हैं, उन्हें ग्राम ग्राम में बना कर लाभप्रद गोवंश उद्योग मै जोड़ कर गोबरसे  रु.५ और गोमूत्र और गोमूत्रसे  रु. २०  प्रति लिटरके दाम प्राप्त कर गोपालक को समृद्ध और गोवंश में बढ़ोतरी की जा सकती है .हमारे प्रयास को महत्व देकर राज्य सरकार ने  कर्णाटक राज्य गोसेवा आयोग की स्थापना की और पृथम वर्ष २०१३-१४ के बजट में २२ करोड़ का  पर्वाधान किया है. कर्णाटक के एक करोड़ पांच लाख गोवंश और ४५ लाख भैंसों की संख्या राज्य के आर्थिक विकास, ग्रामीण उत्थान, रोजगार, स्त्रीशक्ति व युवाशक्ति के लिए मार्गदर्शक बनने जा रही है.  
 मुझे प्रेरणा मिली और देश का पृथम गोवंश आधारित उद्योग गोवर्धन ओरगेनिक लिमिटेड  आज लगभग ५०,००० किलो गोबर और ५००० लिटर गोमूत्र उपयोग क्षमता के साथ पार्टिकल बोर्ड , फिनायल, हस्त प्रक्षालन पावडर गोमूत्र अर्क, आदि का सफलता पूर्वक उत्पादन कर रहा है, केवल  गोवंश  ही  नही पर्यावरण में योगदान देते हुए प्रतिवर्ष लगभग १,००,००० वृक्षों की रक्षा करेगा.अगर पूर्ण गोवंश द्वारा प्रदित गोबर गोमूत्र का लेखा करे तो करोड़ो वृक्षों की रक्षा का यह साधन है.
आपने ओजोन परत के विषय में पढ़ा होगा कार्बन क्रेडिट के रूक में अगर हम एक टन कोयले, तेल इंधन की बचत करते हैं तो विदेशी कम्पनिओं  से  लगभग डॉलर १५-१६ प्राप्त  होते हैं. इस प्रकार के उद्योग लगाये जाने तो १२० करोड़ टन गोबर हमे १८०० करोड़ डॉलर यानी ९०,००० करोड़ रूपया विदेशी मुद्रा लाने में सहायक हो सकता है 
अपने प्रधानमंत्त्रित्वकाल में अटल बिहारी जी वाजपई जी ने, पूर्ण गोवंस सुरक्षा, उत्थान और देश के विकास में गोवंश की महत्ता सिद्ध करने के लिएभूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुमानमल जी लोढा के नेत्रत्व में रास्ट्रीय गोवंश आयोग का गठन  किया इस आयोग ने बहुत ही कम समय में पूर्ण देश का भ्रमण कर, नयायविद, कृषि विज्ञानिक, धर्मशास्त्री, गोपालक, सभी की राय का समावेश कर १६८० पन्नो की ४ खंडो की रिपोर्ट पूजनीय उप प्रधानमंत्री श्री लालकृषण जी अडवानी जी को समर्पित की. यह रिपोर्ट पूर्ण गोवंश रक्षा, संवर्धन, उत्पादन, गोशाला पर्बंधन विषय पर मील का पत्थर साबित हुई. हमारा अगला कदम देश में पूर्ण गोवंश हत्यानिशेध होता, और जो आज भी है. 
जनमानस के सोच का पता चलता है गतवर्ष की विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा से, जिसका  पूर्ण देश के ४,११,७३७ ग्रामो और शहरों में स्वागत हुआ और जाति, धर्म, क्षेत्र की सीमाओं को तोड़ते हुए ८ करोड़ ५० लाख हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, ग्रामीण, शहरी, आदिवासी भारत के नागरिक गोभक्तो ने हस्ताक्षर किये जो महामहिम रास्त्रपति जी को दिए गये.
देश के संविधान के निर्देश सिधांत ४८ का गोवंश हत्या को रोकने में प्रयोग होना चाहिए था लेकिन साथिओं गोहत्या में उपयोग हो रहा है . इस मूक प्राणी को अनुपयोगी और कृषक पर भार बताते हुए  १२ वर्ष के ऊपर के बैल काटना वैधानिक घोषित यानी कसाई के हाथ में तलवार देना हो गया है और इस छुट के आधार पर सुंदर, सुद्रढ़ बैलों की जोडीयां  तो काटी ही जा रही हैं इनके साथ में नवजात बछड़े, बछियाँ भी स्वादिस्ट गोमांस के लिए काटी जा रही हैं. जिन राज्यों, जैसे केरल, आसाम, आदि में यह गोरक्षा कानून भी नही है या जो बंगलादेश, पाकिस्तान से जुड़े हैं उनके हम उनके गोवंश आपूर्तिकर्ता हो गये हैं 
 मैं कर्णाटक से हूँ और मुख्यमंत्री ने कर्नाटक गोवंश हत्यानिषेध एवम संवर्धन  बिल, २०१० विधानसभा में विपक्ष के, विरोध के कारण विरोध, का सामना करते हुए पास करवाया. पूर्ण प्रान्त में ख़ुशी की लहर थी लेकिन 'महामहिम' राज्यपाल महोदय ने जनमानस को धत्ता बताते हुए वह बिल महामहिम रास्ट्रपत्ति महोदया के पास राय के लिए भेज दिया जो  माननीय मुख्य मंत्रीजी सहित विभिन्न उच्त्तम प्रतिनिधिमंडलों के मिलने, जानकारी देने के बाद भी, गत ६ मास  से दफ्तरों की धुल खा रहा है   पूर्ण गोवंश हत्या पर रोक लगाने का अहम् प्रयास किया है और केन्द्रीय सरकार पर पूर्ण दबाव बना रहे हैं. हमे जवाब मिलता है की यह तो राज्य काविषय है. कुछ दिन पूर्व सांसद श्री गोपाल जी व्यास ने कृषि मंत्री जी के सामने विषय रखा तो येही जवाब प्राप्त हुआ .
आज भी देश के कई राज्यों में गोवंश  हत्या का निर्माणकार्य कानून ना होने के कारण गोभ्क्तों की आँखों के सामने चल रहा है. 
देश की कृषि उत्पाद मंडियां, जिन,मे गोवंश भी एक वस्तु माना गया है, प्रति सप्ताह कसाई और उनके दलालों से भारी पाई जाती हैं और जिस देश के मोटर यातायात नियम एक ट्रक में   ४-५ से ज्यादा पशु लड़ने पर रोक लगाते है, उस देश में सरकारी पुलिस, यातायात, वन,मंडी,  पशु कल्याण विभागों के विभिन्न विधि विधानों को तोड़ते हुए एक ग्रामसे दुसरे ग्राम, एक जिले से दुसरे जिले, एक राज्य से दुसरे राज्य की सभी व्यवस्थाओं के साथ समझोता करते हुए, कसाईखानों  में पहुंचा दिए जाते हैं 
मुझे भारत सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कर्णाटक केरल प्रभारी होने के नाते माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार कर्नाताक -केरल के पशु व्यापर और कसाईखानों का दौरा करना पड़ा और जिंदा गाय को कैसे कटा जारहा है देखने का दुर्भाग्य भी झेलना पड़ा. लेकिन, उस रिपोर्ट को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मान्य किया और पूर्ण देश के कसाईखानों के लिए निर्देश भी जारी किये. 
सरकार देश में कसाईखाने बनाती है, हर शहर में बनाती है जैसे कोई बहुत बड़ा सामाजिक उत्थान कार्य हो और फिर कसायिओं को नीलामी में इतने कम पैसे में दे दिया जाता है जिसमे उस कसाई खाने में एक अर्ध कालिक सफाई कर्मचारी भी नियुक्त नही किया जा सकता. गोवंश सुरक्षा का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
इस १२o करोड़ की विशाल जनसंख्या वाले देश में सरकारी आंकड़ो के अनुसार देशी- विदेशी नर मादा बछड़े बछिया सभी मिला कर भी २८ अक्तूबर, २०१० को गोवंश 32,57,58,250 पाया गया है.  सरकारी आंकड़ो को सही मानलें तो हमारे पास लगभग  २०.५ करोड़ गोवंश हैं जो प्रति वर्ष कम से कम ६ करोड़ नये गोवंश को जन्म देती हैं और यह ६ करोड़ औरइसही अनुपात से  १० करोड़ भैंस भी लगभग ३ करोड़ भैसों को जन्म देती हैं. यह प्रजनन पूर्णतया गोचर ही नहीं होता. यानी लगभग ९-१० करोड़ गाय- बैल, भैंस, रु. २,००,००० करोड़ का २ करोड़ टन गोमांस प्रदान करती हैं ५०,००० करोड़ का चरम, हड्डी,खून, आदि  का व्यापार होता है. यह २.५० लाख करोड़ का व्यापर देश के विकास में कोई सहयोग नहीं देता पाया गया है. ना ही ग्रामीण विकास में ना ही रोजगार देने में समर्थ है. सिर्फ कुछ विशेष सम्प्रदाय के लोगो, विभिन्न विभागों के निरक्षकों, अधिकारिओं, राजनीतिज्ञों को, जो इस घृणित व्यवसाय से जुड़े हैं, को समृद्ध बना रहा है. 
हम क्या चाहते हैं ? हम चाहते हैं पूर्ण गोवंश रक्षा - विधि विधान से - अर्थ उपार्जन में गोवंश के योगदान से - धर्ममार्ग से, जन जागरण से- व अन्य सभी उचित मार्गों से सर्वहारा के रोजगार, स्वास्थ्य, और सुन्दर जीवन यापन  की कल्पना. यह सभी जानकारियाँ आपके माध्यम से देश के कोने कोने में पहुंचा कर सर्वहारा के रोजगार, सुन्दर जीवनयापन, स्वास्थ्य की कल्पना करते हुए यह सन्देश हर घर में पंहुचा सकता है. आईये हम आज से ही जूट जाएँ और 
१. भारत सरकार से गौवंश को राष्ट्रिय प्राणी घोषित करवाएं और एक केन्द्रीय मंत्रालय का गठन करवाएं।  
२. गोबध बंदी को कठोरता पूर्वक लागु करवा कर उदाहरण पेश करें केन्द्रीय और प्रांतीय सरकारों पर दबाव बना कर पूर्ण गोवंश हत्याबंदी बंदी और अवैधानिक कसायिखानो को रुकवाएं. 
३ . केन्द्रीय एवम राज्य सरकारों बजट में विभिन्न योजनाओं में  गोवंश आधार शामिल करने का प्रयास करें 
४ . केन्द्रीय और राज्य सरकारों को गोवंश आधारित उद्योग स्थापना में प्रोत्साहन देने का अनुरोध करें.  
4. हर जिले में  कामधेनु अरण्य के निर्माण का प्रयास करें
5.विदेशी नस्ल से गर्भाधान बंद हो और देसी  नस्ल सुधार को प्रोत्साहन हो करें .
६. चारागाह क्षेत्रो की सूची बना कर जिला प्रशासन को उसे विम्मुक्त करवा गोपालक, गोशाला व् कृषक को चारा उगाने को दिलवाने का प्रयासकरें 
७. जैविक खाद और कीटनियंत्रक के विक्रय और केंद्र और राज्यों से छूट का अनुरोध करें 
8. गोवंश आधारित उद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना, राजकीय विभिन्न अनुदान, कर रियायतें  बजटों का भाग बने
9. आदर्श ग्राम योजना जिसमे जैविक कृषि, गोवंश आधारित उद्योग, बैल चालित उपकरण उपयोग में ला कर जल, इंधन, विद्युत्, परिवहन, उर्वरक, किट नियंत्रक, दुग्ध और इसके उत्पाद प्रारंभ कर  पूर्ण ग्राम उत्थान कर दिखाएँ.
0. हर तहसील में गोशाला, नंदीशाला, वर्षभशाला  हो जो आत्मनिर्भरता कार्य करे गोवंश नस्लसुधार कर देश के गोवंश को स्वास्थ्य, सुद्रढ़ और  सम्पन्न बनायें.
साथिओं, मुझे पूर्ण विश्वास है क़ि अगर हम आज कमर कस लें तो यक़ीनन, देश के हर गाँव,हर शहर में गोवंश विकास की धरा बहा देंगे 
गौमाता है भारत की आत्मा और प्राण
हमें चैन जब तक मिलेगा नहीं-
जब तक भारत धरा से गौ हत्या का कलंक मिटेगा नहीं।
    जय गोमाता, जय भारत 
आपका साथी                                          
डॉ.श्रीकृष्ण मित्तल

       बी. काम (होनर्स) एल एल एम् , पी, एचडी

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Dr.SK MIttal